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इतिहास 

जुलाई 2022 में, एक किसान रवि रंजन प्रताप और इं. नीती रंजन प्रताप ने कुछ किसानों की मदद से किसानों के लाभ के लिए और किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए बिशुनपुर गाँव में 700 लीटर प्रतिदिन क्षमता और 09 भारतीय नस्ल की साहीवाल गाय का डेयरी शुरू किया। बिशुनपुर वजीरगंज प्रखंड जिला गया में स्थित है, जो पहाड़ों में वजीरगंज प्रखंड मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दक्षिण में है। यह क्षेत्र कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में बहुत पिछड़ा हुआ है। किसानों की खराब स्थिति के कारण, किसान रोजगार की तलाश में अन्यत्र जाते थे। इस क्षेत्र में, भारतीय नस्ल के गाय पालन के लिए किसानों के बीच प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाया गया, जिसका परिणाम सार्थक रहा और जुलाई 2023 तक कुल 163 किसानों ने गाय पालन शुरू किया, जिससे क्षेत्र में दूध का उत्पादन बढ़ा। डेयरी में किसानों से प्रतिदिन लगभग 600 लीटर दूध संग्रहित किया गया तथा दूध एवं उसके उत्पाद जैसे पनीर, खोया, घी आदि को बाजार में उपलब्ध कराया गया, जिससे किसानों की आय में 6000 से 7000 रूपये प्रतिमाह की वृद्धि दर्ज की गई। किसानों का पलायन भी कम हुआ है।

तत्पश्चात, रवि रंजन प्रताप की अध्यक्षता में किसानों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें किसानों के हित एवं किसानों की आय में वृद्धि के लिए किसान उत्पादक संगठन बनाने का निर्णय लिया गया। निर्णयों के पश्चात 24 नवंबर 2023 को NASP फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की स्थापना की गई। NASP फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (NASP-FPCL) 24 नवंबर 2023 को पंजीकृत एक किसान उत्पादक कंपनी है। कंपनी का CIN नंबर U01611BR2023PTC066322 है। यह भारत के बिहार राज्य में पंजीकृत है। यह एक सामाजिक उद्यम है, जो भारत के बिहार के बिशुनपुर, वजीरगंज, गया जिलों में कार्यरत है। NASP FPCL को किसानों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है।

कंपनी का मुख्य उद्देश्य

  1. सामूहिक बार्गेनिंग शक्ति में वृद्धि : किसानो को एक साथ लाकर उनकी बार्गेनिंग शक्ति में वृद्धि करना ताकि वे अपने उत्पादों के लिए वेहतर कीमत प्राप्त कर सके।

  2. बाजार तक पहुंच में सुधार: किसानो को बाज़ारो तक सीधी पहुंच प्रदान करके और बिचौलियों को काम करके उनकी आय में वृद्धि करना।

  3. कृषि इनपुट्स की सामूहिक खरीद : कृषि इनपुट्स जैसे की बीज , उर्वरक , और कीटनाशकों की सामूहिक खरीद के माध्यम से लागत में कमी लाना।

  4. तकनिकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करना : किसानो को आधुनिक कृषि प्रथाओं और तकनीक का ज्ञान प्रदान करना जिससे वे उत्पादकता में सुधर ला सके।

  5. वित्तीय सेवाओं तक पहुंच : किसानो को ऋण, बिमा और अन्य वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करना।

  6. स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना : पर्यावरण के अनुकूल कृषि प्रथाओं को अपनाकर स्थाई कृषि को बढ़ावा देना।

उद्देश्य : किसानो के सामाजिक एवं आर्थिक विकास का लक्ष्य

  1. कृषि से सम्बंधित उपकरण को किसानो को हायरिंग के आधार पर उपलब्धता सुनिश्चित करना।

  2. उर्वरक, बीज , कीटनाशकों की थोक खरीद और किसानो को स्थानीय स्तर  पर उचित दरों पर उपलब्ध करना।

  3. प्रमुख फसलों जैसे गेहूं, धान आदि की सामूहिक विक्री के लिए भरोसेमंद क्रेता  की पहचान करना और उन्हें किसान से सीधे संपर्क में लाना।

  4. किसानो को उनके लिए उपयोगी किसी भी चीज और उनकी गतिविधियों के बारे में सूचित करना।

  5. किसानो को उद्यमी बनने  लिए प्रोत्साहित करना।

  6. सेमिनार , प्रशिक्षण और प्रेरणादायक यात्रा आदि जैसी गतिविधिया संचालित करना।

  7. किसानो के हित  के लिए सरकारी विभाग, निजी कम्पनियो और अन्य संस्थाओ  से बातचीत करना।

  8. गेहूं, धान, खाद्य बीज आदि जैसे विभिन्न बीजो का उत्पादन और बिक्री करना।

  9. पशु और मवेशी चारे  उत्पादन और बिक्री  करना।

  10. कृषक समितियां बनाकर मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन आदि करना एवं उनकी उचित मूल्य पर बिक्री करना।

  11. पशुपालन ( देशी गाय ) करना एवं जैविक / प्राकृतिक खेती को क्रमबद्ध तरीके से विकसित करना।

  12. कृषक समितियों के माध्यम से जैविक / प्राकृतिक खाद एवं कीटनाशकों का उत्पादन एवं उनकी बिक्री करना।

  13. जैविक / प्राकृतिक सब्जी का उत्पादन एवं उनका उनका उचित मूल पर बिक्री करना।

  14. देशी गाय के दूध A2 और सम्बंधित उत्पाद का उत्पादन और बिक्री करना।

  15. पारिवारिक किसानो की अवधारणा का क्रियान्वयन करना।

किसानो की विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों के लिए बहुमुखी समाधान

किसानो की विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों के लिए बहुमुखी समाधान की व्यवस्था करना जो आधुनिक कृषि प्रथाओं में सहायक हो सकते है :

  1. स्मार्ट खेती तकनीक : मिटटी की नमी, पानी की जरुरत और फसल की स्थिति की निगरानी के लिए सेंसर्स और ड्रोन का उपयोग की व्यवस्था करना।

  2. जैविक / प्राकृतिक खेती : रासायनिक उर्वरको और कीटनाशकों के बजाय जैविक / प्राकृतिक उर्वरको और किट नियंत्रण विधियों का उपयोग करना।

  3. वर्मीकम्पोस्ट : कृषि अवशिष्ट और गोबर को केंचुओ की मदद से उच्च गुणवत्ता के जैविक खाद में परिवर्तित करना।

  4. सूक्ष्म सिचाई प्रणाली : ड्रिप / स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी प्रणालियाँ, जो पानी की बचत करते हुए फसलों को आवश्यक मात्रा में पानी पहुँचता है।

  5. सहजीवी कृषि : फसलों , पशुपालन , मत्स्य पालन , और वानिकी को एक साथ जोड़ कर एक स्थाई खेती प्रणाली विकसित करना।

  6. स्थायी किट प्रबंधन : कीटो के प्रबंधन के लिए रासायनिक, जैविक, प्राकृतिक एवं भौतिक नियंत्रण विधियों का संयोजन।

  7. मौसम की जानकारी एवं भविष्यवाणी सेवाएं : मोबाइल एप्लीकेशन एवं वेबसाइट के माध्यम से किसानो को मौसम की जानकारी और भविष्यवाणी सेवाएं प्रदान करना।

  8. एग्रो-फॉरेस्ट्री : कृषि भूमि पर पेड़ो की खेती, जिससे मिटटी की उर्वरता बढ़ती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को काम करने में मदद मिलती है।

  9. फसल विविधिकरण : एकल फसल खेती से हटकर विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती करना, जिससे जोखिम कम होता है और आय के स्रोत बढ़ाते है।

प्रमाणपत्र

 

पंजीयन प्रमाणपत्र

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